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नवजात गाय का बच्चा
नए ज|न्वर (बछड़े) 🐄का ध्यान रखना सही देखभाल और जानकारी की जरूरत होती है ताकि उसकी सेहत और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण कदम और विचार दिए गए हैं: 👇
🐄1. **कोलोस्ट्रम देना**: कोलोस्ट्रम वो पहला दूध होता है जो मां गाय बछड़े की पैदाइश के तुरंत बाद पैदा करती है। इसमें ज़रूरी पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं जो बछड़े की इम्यून सिस्टम को मज़बूती देने में मदद करते हैं। ध्यान दें कि बछड़ा पैदाइश के कुछ घंटों के अंदर कोलोस्ट्रम को प्राप्त करे।
2. **बॉटल फीडिंग**: अगर मां गाय उपलब्ध नहीं है या वह बछड़े को दूध नहीं पिला सकती है, तो आपको बछड़े को एक उच्च गुणवत्ता वाले मिल्क रिप्लेसर से दूध पिलाना होगा जो विशेष रूप से बछड़ों के लिए तैयार किया जाता है। मैन्युफैक्चरर की दिशानिर्देशों का पालन करें दूध को मिलाने और पिलाने के लिए।
3. **फीडिंग स्केड्यूल**: नए जन्वर को नियमित दूध पिलाने की जरूरत होती है। आमतौर पर, पहले कुछ हफ्तों तक आपको उसे दिन में 2-3 बार दूध पिलाना होगा, धीरे-धीरे बढ़ते समय के साथ यह आवश्यकता कम हो जाएगी।
4. **हाइड्रेशन**: दूध के साथ-साथ, साफ और ताज़ा पानी प्रदान करें ताकि बछड़ा अच्छे से हाइड्रेटेड(💧) रहे।
***दूध छुड़वाना——————–
- बछड़े का दूध छुड़वाना सघन डेयरी फार्मिंग व्यवस्था के लिए अपनाया गया एक प्रबन्धन कार्य है। बछड़े का दूध छुड़वाना प्रबन्धन में एकरूपता लाने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक बछड़े को उसकी आवश्यकता अनुसार दूध की मात्रा उपलब्ध हो और दूध की बर्बादी अथवा दूध का आवश्यकता से अधिक पान न हो।
- अपनाई गई प्रबन्धन व्यवस्था के आधार पर जन्म के समय, 3 सप्ताह बाद, 8 से 12 सप्ताह के दौरान अथवा 24 सप्ताह में दूध छुड़वाया जा सकता है। जिन बछड़ों को सांड के रूप में तैयार करना है उन्हें 6 महीने की उम्र तक दूध पीने के लिए मां के साथ छोड़ा जा सकता है।
- संगठित रेवड़ में, जहां बड़ी संख्या में बछड़ों का पालन किया जाता है जन्म के बाद दूध छुड़ाना लाभदायक होता है।
- जन्म के बाद दूध छुड़वाने से छोटी उम्र में दूध के विकल्प और आहार अपनाने में सहूलियत होती है और इसका यह फायदा है कि गाय का दूध अधिक मात्रा में मनुष्य के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होता है।
***दूध छुड़वाने के बाद———————-
दूध छुड़वाने के बाद 3 महीने तक काफ स्टार्टर की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जानी चाहिए। अच्छे किस्म की सूखी घास बछड़े को सारा दिन खाने को देना चाहिए। बछड़े के वजन के 3% तक उच्च नमी वाले आहार जैसे साइलेज़, हरा चारा,जो, गेहूँ, ज्वार अनाज खाने में दीजिए और चराई के रूप में घास खिलाई जानी चाहिए। बछड़ा इनको अधिक मात्रा में न खा ले इसका ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसके कारण कुल पोषण की प्राप्ति सीमित हो सकती है।
5. **शेल्टर**: बछड़े के लिए एक साफ और सुखद शेल्टर प्रदान करें ताकि उसे कठिन मौसम की स्थितियों जैसे बारिश, अत्यधिक तापमान, और हवा से बचाया जा सके।
6. **बेडिंग**: शेल्टर में साफ और सुखद स्ट्रॉ या बेडिंग मैटेरियल का उपयोग करें ताकि बछड़ा सुखदीप्त और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे न्यूमोनिया से बच सके।
7. **स्वास्थ्य मॉनिटरिंग**: नियमित रूप से बछड़े की बीमारी, चोट, या आराम के संकेतों की जांच करें। आम संकेतों में सुस्ती, पेट दर्द, खांसी, नाक से निकलने वाला तरल, और लंबाई में कमी शामिल हैं।
8. **मेडिकल केयर**: यात्रिक चिकित्सक से सही टीकाकरण और डीवॉर्मिंग की योग्यता की सलाह लें। नियमित स्वास्थ्य जांच बीमारियों को जल्दी पकड़ने में महत्वपूर्ण है।
9. **सामाजिक परस्पर क्रिया**: बछड़े सामाजिक प्राणियों होते हैं और साथी होने पर उनके स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। यदि संभव हो, तो बछड़े को एक साथी के रूप में प्रदान करें, चाहे वह दूसरा बछड़ा हो या एक कोमल बड़ी गाय।
10. **वीनिंग**: धीरे-धीरे बछड़े को दूध से सॉलिड(ठोस) आहार में लाने की प्रक्रिया समय के साथ बदल सकती है। आमतौर पर, यह प्रक्रिया 8-12 सप्ताह की आयु में शुरू होती है। उच्च गुणवत्ता वाले बछड़ों को शुरूआती भोजन प्रदान करें और पूरी तरह से दूध को पूरी तरह बंद करने से पहले सुनिश्चित करें कि बछड़ा पर्याप्त मात्रा में खा रहा है।
11. **खुले मैदान का पहुंच**: जब बछड़ा बड़ता है, तो उसे सुरक्षित और अच्छी तरह से बाड़ से घिरे खुले मैदान की पहुंच प्रदान करें। इससे बछड़े को घास चरने और व्यायाम करने का अवसर मिलता है, जो स्वस्थ विकास को प्रोत्साहित करता है।
12. **आवास**: जब बछड़ा बड़ता है, तो शेल्टर में उसके वृद्धि हुए आकार को समर्थन देने के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करें।
13. **ग्रूमिंग**: अवस्था-अवस्था पर बछड़े की चमड़ी को ब्रश करके ग्रूमिंग करना परिस्थितियों को स्वच्छ रखने और कीड़े मिटाने में मदद करेगा।
ध्यान दें कि प्रत्येक बछड़ा अद्वितीय होता है, और उनकी देखभाल उनके स्वास्थ्य, स्वभाव और परिस्थितियों के आधार पर समायोजन करने की आवश्यकता हो सकती है। नियमित रूप से एक पशुचिकित्सक और अनुभवी किसानों 👳 से सलाह लेने से आपके स्थितियों के लिए मूल्यवान दिशानिर्देश मिल सकते हैं।
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